भारत का बहुमत, सांप्रदायिक बहुमत है. यह किस प्रकार के सामाजिक और राजनैतिक कार्यक्रम रखता है इसका कोई अर्थ नहीं, किन्तु यहाँ का बहुमत अपना सांप्रदायिक चरित्र रखेगा ही. इस कारक को कोई बदल नहीं सकता. इस वास्तविकता के होते यह स्पष्ट है कि यदि ब्रिटिश कानून की प्रणाली की नक़ल की तो नतीजा यह होगा कि कार्यकारी शक्ति को सदा-सदा के लिए साम्प्रदायिक बहुमत के हाथों में सौपना होगा. ... यह बहुसंख्यकों को शासक वर्ग तथा अल्पसंख्यकों को शासित जति बना देगा. इस प्रकार के कार्य कलापों की स्थिति को जनतंत्र नहीं कहा जा सकता, इसे तो साम्राज्यवाद ही कहना पड़ेगा.
( डा. भीम राव अम्बेडकर द्वारा लिखी पुस्तक 'राज्य और अल्पसंखक', पृष्ठ ४० से संग्रहित)
संग्रह्कर्ता : निखिल सबलानिया
In India the majority is a Communal Majority. No matter what social and political programme it may have the majority will retain its character of being a Communal Majority. Nothing can alter this factor. Given this fact it is clear that if the British system was copied it would result in permanently vesting Executive power in a Communal Majority.
... It would make the majority Community a governing class and the minority Community a subject race... Such a state of affairs could not be called democracy. It will have to be called imperialism.
Collector : Nikhil Sablania
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