जब 'शिवाजी महाराज' ने कहा कि "राज्याभिषेक" करो तो जवाब मिला-एक शूद्र का राज्याभिषेक धर्म विरुद्ध है कुर्मी राजा नहीं हो सकता!
षड़यंत्र और जाति निष्ठा को देश निष्ठा से ऊपर रखने वालों का महिमामंडन कैसे किया गया है भारत में, ये हमें बाजीराव मस्तानी फिल्म दिखाती है |
वीर शिवाजी महाराज तब तक प्यारे थे जब तक वो निजाम और औरंगजेब से लड़ते रहे मगर लड़ने के बाद जब शिवाजी महाराज ने कहा कि " भाई राज्याभिषेक करो ! " तो जवाब क्या मिला ? – " एक शूद्र का राज्याभिषेक धर्म विरुद्ध है , कुर्मी राजा नहीं हो सकता ! कौन बोला था ये , वही जो सदियों से धर्म के सहारे अपनी नपुंसकता छिपाते आये हैं ! शिवाजी महाराज ने छत्रपति की उपाधि ली, अपने राज्य में सबको बराबर किया , राजनीति को धर्म से अलग रखा और औरंगजेब के खिलाफ सेनापति मुसलमान ! बस इतना काफी था, भेदभाव और गैर बराबरी को चाहने वाली एंटीना प्रजाति के लिए, खूब दुष्प्रचार हुए, उनके जाने के बाद उनके वंशजों के खिलाफ खूब षड़यंत्र किये गये , कौन किया ये ? वही जिनको पाला बहुजन समाज के लोगों ने, ये तो देशभक्ति और धर्म की कसमे खाते हैं फिर वीर शिवाजी के वंशजों के खिलाफ षड़यंत्र !
खैर ! जाति हित के लिए देश के साथ राज दाहिर के समय से गद्दारी करते आ रहे लोगों ने धीरे धीरे निजाम अफगान, इरान और जितने भी दल मुग़ल दरबार के अलावा भारत में उस समय क्षेत्रीय ताकत थे उनसे गुप्त समझौते करके "छत्रपति " की गद्दी को कमजोर और "पेशवा " की गद्दी का महिमामंडन करवाया , इसके बाद समता न्याय और बंधुत्व पर आधारित छत्रपति शिवाजी का मराठा राज्य को "हिंदुत्व " के नाम पे धार्मिक कट्टरता का प्रतीक बनाया गया , यही देशभक्ति होती है ? गद्दारी करते हो अपने राजा के खिलाफ ! पेशवा काल विशुद्ध जातिवाद और देशद्रोहियों की गोलबंदी का काल था जिसे ख़त्म किया १८१८ में महार सैनिकों ने कोरेगांव में , उसके बाद पेशवा का पद ही ख़त्म हो गया और दुबारा से मराठा राज के असली वारिस को मुखिया बन दिया अंग्रेजो ने , जिनके एक वंशज छत्रपति शाहूजी महाराज ने आगे चलकर उन्नीसवी सदी में अपनी रियासत में एंटीना धारियों के भेदभाव से परेशां होकर सबसे पहले नौकरियों में आरक्षण लागू कर दिया और खूब बहिष्कार और तांडव झेला ! जाति का महिमामंडन बहुत कर लिए बंधू ! थोडा कडवा डोज भी लेते रहो , असलियत कडवी मगर देश के लिए फायदे मंद होती है !
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