फिल्म में बाजीराव मस्तानी के करनामे तो आप लोग देख लिये .....लेकिन अपना भी इतिहास जान लीजिये ...बाजीराव - मस्तानी देखने वाले भले ही पेशवा बाजीराव के कारनामे देख के अतीत में पेशवाओ केमुरीद हो जाएँ परन्तु यह अकाट्य सत्य है की पेशवाओ का राज अछूतो के लिए सबसे कष्टकारी और अपमानजनक राज था ।पेशवाओ के राज में ब्राह्मणवाद इतना चरम पर थाकी अछूतो को सड़क पर चलने तक की अनुमति नहीं थी, यदि कोई अछूत सड़क पर चलता तो उसको आगे गले में हांड़ी लटकानी पड़ती थी ताकि उसका थूक जमीन पर न गिरे और पीछे झाड़ू लटकानी पड़ती थी ताकि उसके पदचिन्हो पर किसी ब्राह्मण का पैर नपड़े और वह अपवित्र न हो ।पेशवा के ऐसे ही अमानवीय अत्याचारो से तंग आकेमहारास्ट्र के महारो ने अंग्रेजी सेना में भर्ती होके पेशवा बाजीराव को बुरी तरह हरा दिया था ।ये महारो का ही पराक्रम था की वे केवल500 थे जबकि बाजीराव के 28000 सैनिक , पर केवल 500 महार अछूतो ने बाजीराव के 28000सैनिको कोबुरी तरह धूल छटा दी थी ।पेशवा बाजीराव का जनवरी 1818 में ईस्ट इण्डिया कंपनी के साथ कोरेगांव के पास अंतिम युद्ध हुआ । पेशवा की सेना में 28000 सैनिक थे और कंपनी की सेना में 500 पैदल और 50 घुड़सवार जिसमें अधिकतर महार थे । कंपनी की महार सेना ने पेशवा बाजीराव की सेना की धज्जियां उड़ा दीं । कोरेगांव का युद्ध स्मारक अछूत महार जाति के अद्भुत पराक्रम का परिचायक है । पेशवा ने अपने शासन काल में अछूतो पर जो अत्याचार किये थें , उनकी अछूत महारो में भयानक प्रतिक्रिया का कोरेगांव एक अद्भुत उदहारण है । इस युद्ध में पेशवा बाजीराव को पकड़ कर कंपनी की सेना ने मार कर पेशवा राज्य समाप्त कर उस पर अधिकार कर लिए और अछूतो को बहुत हद तक राहत मिली ।...-
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