बडं सो पापी आहि गुमानी ! पाखण्ड रूप छलेउ नर जानी!!
बाबन रूप छलेउ बलि राजा !
ब्राहम्ण कीन्ह कौन को काजा!!(२)
ब्राहम्ण ही सब कीन्ही चोरी!
ब्राहम्ण ही को लागत खोरी!! (३)
ब्राहम्ण कीन्हों वेद पुराना !
कैसेहु कै मोहि मानुष जाना !!(४)
एक से ब्रम्हौ पन्थ चलाया !
एक से हंस गोपालहि गाया !!(५)
एक से शम्भू पन्थ चलाया!
एक से भूत-प्रेत मन लाया!! (६)
एक से पूजा जैनि विचारा!
एक से निहुरि निमाज गुजारा!! (७)
कोई काहू का हटा न माना !
झूठा खसम कबीरन जाना!! (८)
तन मन भजि रहु मोरे भक्ता !
सत्य कबीर सत्य है वक्ता !!(९)
आपुहि देव आपु है पाँती!
आपुहि कुल आपू है जाती!! (१०)
सर्व भूत संसार निवासी!
आपुहि खसम आपु सुखवासी!! (११)
कहइत मोहिं भयल युगचारी!
काके आगे कहों पुकारी!! (१२)
साखी-
सॉचहि कोई न माने ,
झूठहिं के संग जाय !
झूठेहि झूठा मिलि रहा ,
अहमक खेहा खाय !!
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